आंबेडकर माह संगोष्ठी श्रृंखला-18 18 अप्रैल 2020
विषय-"पे बैक टू सोसायटी तथा अधिकारियों, कर्मचारियों की भूमिका"
डॉ विजय कुमार त्रिशरण बहुजन समाज के सभी सदस्य हमारे देश के बहुजन महानायकों के हज़ारों साल के अनवरत जोखिम भरा आंदोलन के परिणाम हैं। बुद्ध से मान्यवर तक का सामाजिक क्रांति हमारे जीवन मे धन, ज्ञान, मान और स्वाभिमान का भाव भर दिया है। परन्तु करोडों लोग ऐसे हैं जो अभी तक नरपशु की भांति जींवन ढो रहे हैं। ऐसे में हमे ऐसे सामाजिक व्यवस्था के लिए अपनी टाइम, टैलेंट और ट्रीज़री यानि समय, बुद्धि और धन खर्च करना चाहिए जिससे हमारे महानायकों की मानववादी आंदोलन की कारवां बढ़ती रहे और भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित हो।
पे बैक टू सोसायटी के लिए निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं।
- स्वयं को पेट और परिवार से ऊपर उठ कर सामाजिक परिवर्तन के लिए संकल्प लें।
- प्रत्येक अधिकारी, कर्मचारी अपने सामान्य कार्यों को सम्पादित करते हुए प्लानिंग, एक्शन और इम्प्लीमेंटेशन के तहत सामाजिक उत्थान के लिए सप्ताह में एक दिन गावँ, मुहल्ला, कालोनी तथा झोपड़ी पट्टी में जागरूकता कार्यक्रम करें।
- बहुजन, साहित्य, संस्कृति और महापुरुषों के विचार चिंतन के बारे में चर्चा करें।
- पंचायत स्तर पर पुस्तकालय खोलें।
- अधिकारी/कर्मचारी अपने क्षेत्र में मुफ्त मिशन पत्रिका वितरित करें।
- संविधान चर्चा, पाठ, पखवारा, विभिन्न एक्ट ,रूल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइंस संबंधी जागरूकता कार्यक्रम करें। कानूनी अधिकार, मूल अधिकार तथा मूल कर्तब्य पर सेमिनार करें।
- नौकरी के अलावे बिजिनेस, व्यापार के क्षेत्र में जाने हेतु युवाओं को प्रेरित करें।
- उच्च शिक्षा, विदेश शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के लिए प्रेरित करें।
- नशामुक्त जींवन के फायदे बताएं।
- वैज्ञानिक बातों का प्रसार करें ताकि लोग अंधविश्वास में न पड़ें।
- निःशुल्क, कोचिंग, ट्यूशन, कम्प्यूटर शिक्षण केंद्र चलाएं।
- संस्कृति प्रसार के लिए झोला पुस्तकालय और झोपड़ी बुद्ध विहार की अवधारणा विकसित करें।
- धम्म प्रशिक्षण कार्यक्रम करें। बौद्धाचार्य प्रशिक्षण शिविर लगाएं। साप्ताहिक पारिवारिक धम्म संगोष्ठी करें।
- बालिका शिक्षा को बढ़ावा दें। महिलाएं निरर्थक व्रत, उपवास, चढ़ावा और रूढ़ि रिवाजों को न ढोएं।
- युवाओं के लिए रोजगार मेला, केरियर काउंसिलिंग कैम्प लगाएं।
- दहेज प्रथा पर निषेध करें और अंतरजातीय विवाह का प्रोत्साहन दें।
- अपने अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ अपनी ज्ञान और अनुभव को कैम्प लगा कर साझा करें, प्रशिक्षित करें।
- ग्रामीणों में वोट का मूल्य और महत्व बताएं ताकि सही जनप्रतिनिधि का चुनाव कर सकें।
- अपनी आय का 2% सामाजिक कार्यों में खर्च करें या मिशनरी संस्थाओं को दान दें।
- प्रत्येक कर्मचारी और अधिकारी अपने घरों में एक समृद्ध पुस्तकालय अवश्य रखें।
- घर मे कम से कम एक 'पुस्तककय और एक शौचालय" की संस्कृति विकसीत करें।
- मृत्यु निश्चित है। इसलिए सामाजिक परिवर्तन कार्य से जुड़ कर जींवन को शानदार और यादगार बनाएं
!!! भवतु सब्ब मंगलम !!!